मुंबई। महाराष्ट्र में हाल ही में विधानसभा चुनाव के बाद क्या अजित पवार और शरद पवार एक बार फिर साथ आएंगे। इन दिनों यह चर्चा का विषय भी बना हुआ है। इन कयासों पर हो रही चर्चा ने जोर भी पकड़ लिया है। शरद पवार और अजीत पवार के साथ आने की चर्चा ने इसलिए भी जोर पकड़ लिया है कि पवार खानदान के एक व्यक्ति ने दोनों नेताओं के साथ आने वकालत की है। दरअसल एनसीपी एसपी के विधायक रोहित पवार की मां सुनंदा पवार ने एनसीपी के दोनों गुटों को साथ आने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों प्रतिद्वंद्वी खेमों से एकता के लिए आवाज उठ रही है।
सुनंदा पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग और पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि शरद पवार और अजित पवार साथ मिल जाएं। सुनंदा पवार का यह बयान ऐसे वक्त सामने आया है, जब हाल ही में अजित पवार ने परिवार सहित शरद पवार से मुलाकात की थी और दोनों खेमों से एकता की आवाजें उठ रही हैं। सुनंदा पवार ने कहा कि उन्हें परिवार के एकता के इस प्रदर्शन में कुछ भी राजनीतिक नहीं दिखता। उन्होंने कहा, ‘जहां तक पार्टी कार्यकतार्ओं की भावनाओं का सवाल है, उनका मानना है कि अगर पार्टी बंटी रहने के बजाय एकजुट रहती है, तो पूरे राज्य में इसकी ताकत होगी। मैं पार्टी कार्यकतार्ओं की इन भावनाओं का सम्मान करती हूं।’
‘पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं एकजुट हों दोनों गुट’
सुनंदा पवार ने कहा कि ‘एकजुट परिवार एक ताकत है। पवार परिवार की पीढ़ियां कई वर्षों से अच्छे और बुरे दोनों ही समय में एक साथ रही हैं।’ उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार, उनके बेटे पार्थ और रोहित पवार समेत परिवार के कई लोग गुरुवार को शरद पवार को उनके 84वें जन्मदिन की बधाई देने इकट्ठा हुए। इसमें अजीत पवार भी शामिल थे। यह जन्मदिन समारोह नई दिल्ली में शरद पवार के 6 जनपथ स्थित आवास पर आयोजित किया गया था।
पार्टी कार्यकर्ता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण
सुनंदा पवार ने जोर देकर कहा, ‘पार्टी कार्यकर्ता, पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं और नेतृत्व को उनकी भावनाओं को समझना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ‘उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरी तरह से अजित दादा और पवार साहब और उनकी पार्टियों का फैसला है। मुझे यकीन है कि दोनों सही फैसला करेंगे।’ सुनंदा पवार ने कहा,’जब मैं दोनों गुटों के एकजुट होने की जरूरत की बात करती हूं तो मैं महाराष्ट्र के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का प्रतिध्वनित कर रही होती हूं. एकजुट परिवार ताकत है. पवार परिवार की पीढ़ियां सालों से अच्छे-बुरे समय में एक साथ रही हैं।
एक साल पहले हो गया था बंटवारा
बता दें कि जुलाई 2023 में एनसीपी में तब विभाजन हो गया था, जब अजित पवार एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में चुनाव आयोग ने उन्हें पार्टी का नाम और ‘घड़ी’ का चुनाव चिन्ह दे दिया था, जबकि शरद पवार के गुट का नाम एनसीपी (शरदचंद्र पवार) रख दिया गया था। दोनों गुट तब से कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं और कई बार एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी भी कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में जहां शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी-एसपी का पलड़ा भारी रहा और पार्टी ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं अजित पवार की पार्टी एनसीपी को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा। हालिया विधानसभा चुनाव में ये तस्वीर पूरी तरह पलट गई और इस बार अजित पवार की पार्टी एनसीपी का पलड़ा भारी रहा और एनसीपी ने विधानसभा की 41 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं शरद पवार की एनसीपी-एसपी को महज 10 सीटों से ही संतोष करना पड़ा।