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कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस: बेटी का जल्द अंतिम संस्कार करने और मामले को दबाने पुलिस ने की थी रिश्वत की पेशकश, पिता का दावा

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कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 8-9 अगस्त की दरम्यानी रात ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। यहनहीं यह मामला राष्ट्रीय मुद्दा भी बन गया है। पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए पूरे देश में डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। चिकित्सकों के साथ आमजन भी जोर-शोर से इसे लेकर किए जा रहे आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। इस मामले में जमकर सियासत भी हो रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विपक्षी दल भाजपा आमने-सामने है। इन सबके बीच पीड़िता के पिता ने कोलकाता पुलिस लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। दरअसल उन्होंने कोलकाता पुलिस पर रिश्वत देने का आरोप लगाया है।

पीड़िता के पिता का कहना है कि कोलकाता पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार कराकर मामले को दबाने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस मामले के सामने आने के बाद हमें रिश्वत देने की कोशिश की थी। जिसे उनके द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस शुरूआत से ही इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी. हमें बेटी का शव तक देखने नहीं दिया गया और घंटों पुलिस स्टेशन में इंतजार कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद हमें शव सौंपा गया। इसी बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमें रिश्वत देने की कोशिश।

हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते
मृतका के परिजन का ये बयान तब आया है, जब बुधवार को उन्होंने पहली बार अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। मृतका के पिता ने इस मौके पर कहा कि हमें इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेना ही होगा। आखिर हम और कर भी क्या सकते हैं? चीजें बहुत धीरे-धीरे हो रही हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हमारे बहुत सारे सवाल हैं और हम सब कुछ पुलिस से पूछेंगे। पिता ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से उस दिन किसी ने भी उनके साथ बात नहीं की। उस रात उनकी बेटी का शव कैसे ले जाया गया, उसकी भी उन्होंने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम अंतिम संस्कार करना नहीं चाहते थे, शव को यथासंभव छोड़ देना चाहते थे, लेकिन हमारे ऊपर दबाव डाला गया। हम एक घंटे तक थाने में बैठे रहे। मजबूरी में घर लौट गए। घर जाकर देखा कि वहां 400 पुलिस वाले खड़े थे। तब हमारे पास कुछ करने का विकल्प नहीं था, हमें शव को जलाना पड़ा। लेकिन उस दिन श्मशान का खर्च किसने उठाया, यह हम आज तक नहीं जान पाए हैं।

पिता ने यह भी लगाया आरोप
मृतका डॉक्टर के पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि घटना की रात उनकी बेटी का शव श्मशान ले जाने के लिए मजबूर किया गया। बिना किसी जांच के ही कह दिया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या की है। फिर जब हम 12:10 बजे अस्पताल पहुंचे, तो बेटी के चेहरे को देखने के लिए तीन घंटे तक सेमिनार हॉल के बाहर बैठाया गया। हमें शव देखने की अनुमति नहीं दी गई। इतना ही नहीं, शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने तक हमें पुलिस स्टेशन में इंतजार करना पड़ा।

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