नई दिल्ली। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला गरमा गया है। जांच एजेंसी सीबीआई ने जहां सोमवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से 13 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। वहीं, आरोपी संजय रॉय का अब पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाएगा। इन सब के बीच आज मंगलवार से इस मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सुनवाई के पहले ही दिन शीर्ष अदालत ने बड़ा फैसला ले लिया है। दरअसल कोर्ट ने डॉक्टर्स की सुरक्षा पर नेशनल टास्क फोर्स बनाने का ऐलान कर दिया है। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे।
कोर्ट ने मामले में आठ सदस्यीय टास्क फोर्स के गठन का फैसला किया। इसमें एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवासन के अलावा कई और डॉक्टरों का नाम शामिल किया गया। बेंच ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जाहिर की। साथ ही केस में पुलिस जांच से लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका तक पर सवाल उठाए। सीजेआई ने कहा कि पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया? हजारों लोगों को अंदर क्यों आने दिया? प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में क्यों जॉइन कराया गया? सीजेआई ने कहा, सीबीआई इस मामले में गुरुवार तक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे। जांच इस समय नाजुक दौर में है, इसलिए डायरेक्ट रिपोर्ट कोर्ट में दी जाए। सीजेआई ने पूछा- प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज नहीं की गई। शव माता-पिता को देर से सौंपा गया। पुलिस क्या कर रही है? एक गंभीर अपराध हुआ है। उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया गया? सीजेआई ने कहा कि हम एक नेशनल टास्क फोर्स बनाना चाहते हैं जिसमें सभी डॉक्टरों की भागीदार हो। सीजेआई ने डॉक्टरों को कहा कि आप हम पर भरोसा करें। डॉक्टर्स की हड़ताल पर कहा, इस बात को समझें कि पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है।
सीजेआई ने पूछे सवाल
सीजेआई ने कहा कि हमने स्वत: संज्ञान इसलिए लिया है क्योंकि रेप-हत्या के अलावा यह देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी है। हम सुरक्षा को लेकर सुनवाई करेंगे। हमें डॉक्टर्स, खासकर महिला डॉक्टर और युवा डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर चिंता है। सीजेआई ने कहा कि हम पीड़िता की पहचान उजागर होने को लेकर चिंतित हैं। पीड़िता की फोटो और पोस्टमार्टम के बाद उसकी बॉडी को दिखाना चिंताजनक है। हम पीड़िता की तस्वीरें और नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से बहुत चिंतित हैं। हर जगह पीड़िता की पहचान उजागर हुई। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था। सीजेआई ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा- क्या प्रिंसिपल ने हत्या को आत्महत्या बताया? क्या पीड़िता के माता-पिता को सूचना देर से दी है? उन्हें मिलने नहीं दिया गया सीजेआई ने कहा कि क्या हत्या के तहत एफआईआर दर्ज हुई है? प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज कराने में देरी क्यों हुई? ये बेहद गंभीर मुद्दा है।
‘हम डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित’
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। बेंच ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। बेंच ने कहा कि आखिर ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे काम करेंगे। हमने देखा है कि उनके लिए कई जगहों पर रेस्ट रूम तक नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।”
क्या है पूरा मामला?
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में नौ अगस्त की दरमियानी रात को प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। अगले दिन सुबह उसका शव मिला था, जिसके बाद से डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल पुलिस से जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी है। शीर्ष अदालत ने मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के पहले से ही शामिल होने के तथ्य को महत्वपूर्ण रखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों, खासकर डॉक्टरों और उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत न्यायिक जांच का दायरा बढ़ा सकती है।