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कांग्रेस ने परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार को सबसे आगे रखा, रास में बरसे शाह: कहा- ये तीनों काम छोड़ दो तो जिता देगी जनता

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नई दिल्ली। भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाला यात्रा पर राज्यसभा में मंगलवार को भी चर्चा जारी रही। आज की चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने भाग लिया और कांग्रेस पर जमकर जुबानी हमले बोले। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि संसद में हो रही चर्चा हमारे संविधान के कारण हमारा देश कितना आगे बढ़ा, इसका अहसास हमारी जनता को कराएगा। उन्होंने कहा, संविधान पर दोनों सदनों में जो चर्चा हुई है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरक होगी।

कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र है, परिवारवाद नहीं होना चाहिए। शाह ने कहा, ‘हम एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, यहां तुष्टिकरण की जगह नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस ने हमेशा परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार को आगे रखा। ये तीन काम छोड़ दो, जनता जिता देगी। शाह यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे राहुल को अपने निशाने पर लेते हुए कहा कि ‘मोहब्बत की दुकान के बहुत नारे सुने हैं। हर गांव में दुकान खोलने की महत्वाकांक्षा रखने वालों के भाषण भी सुने हैं। पर मोहब्बत बेचने की चीज नहीं है, ये एक जज्बा है, जिसे महसूस किया जाता है।’ शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस मुस्लिमों को आरक्षण देना चाहती है, इसलिए 50% की सीमा बढ़ाने की बात कर रही, लेकिन भाजपा ये कभी होने नहीं देगी।

शाह ने कहा, ‘संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए। इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा। आम सभा में संविधान को लहराया नहीं। संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है।’ उन्होंने कहा कि ‘देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं। इसने अनेक तानाशाहों के अहंकार-गुमान को चूर-चूर किया है। जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, हम आज दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह हम सबके लिए गौरव लेने का पल है। संकल्प लेने का पल है।’

…तो संविधान में कभी नहीं दिखाई देगी भारतीयता
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। हां, हमने हर संविधान का अभ्यास जरूर किया है, क्योंकि हमारे यहां ऋग्वेद में कहा गया है, हर कोने से हमें अच्छाई प्राप्त हो, सुविचार प्राप्त हो, और सुविचार को स्वीकारने के लिए मेरा मन खुला हो। हमने सबसे अच्छा लिया है, लेकिन हमने हमारी परंपराओं को नहीं छोड़ा है। पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है, तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी।

‘हमारा लोकतंत्र आज पाताल तक गहरा’
शाह ने आगे कहा, ‘जो कहते थे कि इस देश में लोकतंत्र सफल नहीं होगा। मैं उन सभी लोगों को सदन के माध्यम से कहना चाहता हूं कि 75 साल हो गए, हमारे पास-पड़ोस और दुनियाभर में लोकतंत्र सफल नहीं हुए। लेकिन हमारा लोकतंत्र आज पाताल तक गहरा है। रक्त की एक बूंद बहाए बगैर हमने अनेक परिवर्तन किए और विचारधाराओं के आधार पर भी हमने परिवर्तन किए।’

‘जनता ने अनेक तानाशाहों के गुमान को चकनाचूर किया’
शाह ने कहा, अनेक तानाशाहों के गुमान को चकनाचूर करने का काम इस देश की जनता ने किया है। लोकतांत्रिक तरीके से किया है। जो कहते थे कि भारत आर्थिक तौर पर कभी आत्मनिर्भर नहीं हो पाएगा, उन्हें भी हमारी जनता और संविधान की खूबसूरती ने जवाब दिया है। हम आज दुनिया का पांचवां अर्थ तंत्र बनकर दुनिया के सामने खड़े हैं।

‘सरदार पटेल के परिश्रम से मजबूती से खडा है देश’
गृह मंत्री ने कहा, ‘बहुत लंबी आजादी की लड़ाई के बाद हम आजाद हुए। जब हम आजाद हुए तब दुनियाभर के राजनीतिक पंडितों ने कहा था कि यह देश बिखर जाएगा। शायद बन ही नहीं पाएगा। कुछ लोगों ने कहा था कि यहां लोकतांत्रिक मूल्य प्रतिस्थापित हो ही नहीं पाएंगे। एकता हो ही नहीं पाएगी और यह देश आर्थिक रूप से कभी आत्मनिर्भर नहीं होगा। आज 75 साल के समय के बाद संविधान को स्वीकार करने के बाद पीछे मुड़कर देखते हैं, तो सरदार पटेल का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं। सरदार पटेल के अथक परिश्रम के कारण देश आज एकजुट होकर दुनिया के सामने मजबूती से खड़ा है।’

सच हो रही महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी: शाह
संविधान पर चर्चा के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा, आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, उस मुकाम पर महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की वो भविष्यवाणी सच होती दिखाई पड़ती है कि भारत माता अपनी देदीप्यमान ओजस्वी स्वरूप में जब खड़ी होंगी, तब दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएगी और पूरी दुनिया रोशनी के साथ भारत की ओर देखेगी।

‘संविधान को चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक हो’
राज्य सभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, संविधान की रचना के बाद डॉ अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है, अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों। उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो। ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर साधा निशाना
हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गया। समय के साथ साथ देश भी बदलना चाहिए, समय के साथ साथ कानून भी बदलने चाहिए और समय के साथ साथ समाज भी बदलना चाहिए। परिवर्तन इस जीवन का मंत्र है, सत्य है। इसको हमारे संविधान सभी ने स्वीकार किया था। इसलिए आर्टिकल 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रावधान किया गया था। अभी कुछ राजनेता आए हैं और 54 साल की आयु में अपने आप को युवा कहते हैं और घूमते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनको कहना चाहता हूं कि संविधान के प्रावधानों को बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के अंदर संविधान में ही है।

अमित शाह ने कहा कि, इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा। किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं। संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है। लोकसभा में किसी को मालूम नहीं था, जागरुकता नहीं थी। महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए। एक पत्रकार के हाथ में आ गया। वह कॉपी कोरी थी। प्रस्तावना तक नहीं थी। 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है। हार का कारण ढूंढते हैं, बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया।

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