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कुपवाड़ा में फिर मुठभेड़: माछिल सेक्टर में देश का एक और लाल शहीद, चार हुए घायल, एक आतंकी का भी हुआ अंत

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कुपवाड़ा। धरती का स्वर्ग माना जाने वाला जम्मू-कश्मीर में बीते डेढ़ महीने से अशांति हैं। यहां के अलग -अलग जिलों से लगातार सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरे सामने आ रही हैं। इसी कड़ी में कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में एक बार फिर जवानों और दहशतगर्दों के बीच मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में जहां हमारा एक जवान फिर शहीद हो गया है। वहीं चार घायल हुए हैं। घायलों में एक मेजर रैंक के अधिकारी भी है। हालांकि इस दौरान जवानों ने एक दहशतगर्द को भी ढेर किया है। बताया जा रहा है कि इलाके में कई आतंकी छिपे हैं। यह आतंकी भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में हैं।

मुठभेड़ पर भारतीय सेना की तरफ से बयान भी आया है। सेना ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में माछिल सेक्टर स्थित कामकारी में फॉर्वर्ड पोस्ट पर अज्ञात कर्मियों के साथ गोलीबारी हुई। जिसमें एक पाकिस्तानी आतंकवदी मारा गया है। वहीं एक जवान शहीद हो गया है, जबकि चार जवान घायल हुए हैं। घायल जवानों को मौके से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। सूत्रों की मानें तो सुरक्षा बलों को कुपवाड़ा में आतंकियों के छिपे होने की पहले ही जानकारी मिली थी। जिसके बाद से यहां पर कई दिनों से सेना एंटी टेरर आॅपरेशन चला रही है। कहा जा रहा है कि यह पाकिस्तान की तरफ से किया गया एक बीएटी अटैक है। मसलन, बीएटी का मतलब होता है बॉर्डर एक्शन टीम, जिसमें पाकिस्तानी सेना के कमांडो और आतंकी शामिल होते हैं। ये लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल पर घुसपैठ करते हैं।

क्या है बीएटी?
माना जाता है कि हमले में शामिल बीएटी टीम में पाकिस्तान सेना के नियमित जवान शामिल होते हैं, जिसमें उनके एसएसजी कमांडो भी शामिल हैं, जो आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर काम करते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 50-55 आतंकवादी 2-3 आतंकवादियों के छोटे समूहों में काम कर रहे हैं, जिन्हें कथित रूप से लोकल लेवल पर समर्थन मिलता है। सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र में सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां अब घुसपैठ की कोशिशों से निपटने के लिए क्षेत्र में अपनी खुफिया और आतंकवाद विरोधी ग्रिड को मजबूत कर रही हैं। सूत्रों ने कहा कि अब क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिशों की जांच की जा रही है, जिसमें आतंकवाद विरोधी ग्रिड के दूसरे स्तर को मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है।

जम्मू संभाग में हुए हमलों के बाद चलाए गए सिर्फ तलाशी अभियान, मिला कुछ नहीं
पहला हमला: 9 जून, रियासी में शिवखोड़ी में यात्रियों की बस पर हमला। इसमें 10 यात्री मारे गए और 40 घायल हो गए। आतंकियों की तलाश में सेना और पुलिस पिछले 46 दिन 25 सर्च आपरेशन चला चुकी है। लेकिन एक आतंकी नहीं मिला अभी तक।

दूसरा हमला: 11 और 12 जून को डोडा और भद्रवाह में पुलिस और सेना के अस्थायी कैंप पर हमला हुआ। इसमें 7 जवान मायल हो गए। आतंकियों की तलाश अब तक जारी है। हमले के बाद आतंकियों का पता नहीं चला।

तीसरा हमला: 7 जुलाई राजौरी जिले में सुरक्षा चौकी पर हमले में एक सैन्यकर्मी घायल हुआ।

चौथा हमला: 8 जुलाई को कठुआ आतंकी हमले में 5 जवान बलिदान हो गए। इनकी तलाश में 3000 जवान लगे हुए हैं। लेकिन हमले के बाद अब तक एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।

पांचवां हमला: 16 जुलाई को डोडा के जंगल में सेना पर आतंकियों में घात लगाकर हमला किया। इस हमले में 4 जवान बलिदान हो गए। लेकिन अभी तक एक भी आतंकी नहीं मारा गया। इनकी तलाश में अभी तक सर्च ही चल रही है।

छठा हमला: 22 जुलाई राजोरी के गुंदा क्वास में शौर्य चक्र से सम्मानित बीडीसी सदस्य के घर पर हमला। एक बीडीसी सदस्य विजय कुमार और सेना का जवान घायल। अब तक सर्च चल रही। आतंकियों का पता नहीं चल पाया।

सांतवां हमला: 7 जुलाई को राजोरी के मंजाकोट के गलुति में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ, इसमें जवान घायल हो गया। आतंकियों का पता नहीं चल पाया।

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