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इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम रीढ़ की हड्डी की तरह, सीएम बोले- पहचाने टेक्नोलॉजी की ताकत को

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पिता पूनमचंद यादव के निधन के बाद शोक की घड़ी में भी वह अपने काम लौट आए हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को सीएम मोहन ने उज्जैन से भोपाल में निर्माण उद्योग विकास परिषद द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में वर्चुअली शामिल हुए। यही नहीं उन्होंने अधोसंरचना निर्माण में नवाचारों का समावेश विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस का उज्जैन से ही वर्चुअली शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर सीएम हाउस उज्जैन में विधायक सतीश मालवीय, उज्जैन संभागायुक्त संजय गुप्ता, पुलिस महानिरीक्षक संतोष कुमार सिंह भी मौजूद रहे।

कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीएम मोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आर्थिक प्रगति के मार्ग पर पूरी रफ्तार के साथ दौड़ रहा है। इन्फास्ट्रक्चर का काम रीढ़ की हड्डी की तरह होता है, जिस पर आर्थिक और समावेशी विकास की नीतियां आकार लेती है। टेक्नोलॉजी की ताकत को पहचाने, इसका सदुपयोग कर समाज हित में संकल्प को पूर्णता प्रदान करे ताकि इस पीढ़ी के साथ आने वाली पीढ़ी भी लाभान्वित हो सके।

मंथन से ही समावेशी विकास के नए द्वार खुलेंगे
सीएम ने कहा कि अधोसंरचना के क्षेत्र में समावेशी विकास की गुंजाइश पर आयोजित कॉन्फ्रेंस बुनियादी ढांचे, पर्यावरण, स्वास्थ्य, नवाचारों आदि संभावनाओं पर समग्र रूप से विचार किया जाए। नवीन प्रौद्योगिकी के युग में एक प्लेटफार्म पर निरंतर विचार विमर्श से ही समावेशी विकास के नए मार्ग एवं द्वार खुलेंगे। प्रदेश और निर्माण की बेहतरी के लिए हर संभावना को तलाशा जाए। डॉ. यादव ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के संकट से बचाव के लिए प्रभावी और लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर हमे जोर देना होगा। नई विधाएं अपनाकर निर्माण की गति भी बढ़ानी होगी। निर्माण के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। निर्माण लागत और संसाधन को कम करने में भी सुधार की गुंजाइश हैं।

भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व
सीएम ने शिक्षक दिवस के अवसर पर इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सभी को अभिनंदन और बधाई दी। उन्होंने कहा कि सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को समर्पित शिक्षक दिवस पर आज हमें नई प्रेरणा मिलेगी। आप सभी जानते हैं भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व हैं। इसको दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने गुरु पूर्णिमा का पर्व भी शासकीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। प्रसन्नता की बात है कि कुलपतियों का नाम परिवर्तित कर अब कुलगुरु किया गया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ता, वैज्ञानिक गुरु की भांति हैं। अनुसंधान और शोध के क्षेत्र में जनहित की भावना का संकल्प आदिकाल से ही हमारी परंपरा में रहा हैं।

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