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आदिवासी बाहुल्य जिले में डायरिया का कहर: कुएं का दूषित पानी पीकर 33 पड़े बीमार, एक की मौत, मचा हड़कंप

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खंडवा। मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य जिला खंडवा में डायरिया का कहर देखने को मिला है। यहां के खालवा ब्लॉक के बाराकुंड गांव में कुएं का दूषित पानी पीने से जहां करीब तीन दर्जन लोग बीमार पड़ गए हैं। जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं एक व्यक्ति की मौत हो गई है। बीमारों में महिला एवं पुरुषों के साथ ही छोटे बच्चे भी शामिल हैं। एक साथ गांव के 33 लोगों के बीमार होंने से हड़कंप मच गया। वहीं जिला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से दो डॉक्टरों की टीम 7 दिनों के लिए गांव में ही तैनात है।

बताया जा रहा है कि गांव के ही कुए से दूषित पानी पीने से लोग बीमार हो गए हैं। इसमे गांव के एक दामाद की उल्टी दस्त होने के बाद मौत हो गई है। वहीं, मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल पांच पुरुष एवं पांच महिलाओं समेत कुल 10 लोग अभी भी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। हालांकि, सभी की हालत अभी स्थिर है।इधर, जिला प्रशासन को घटना की जानकारी मिलते ही जिले और ब्लॉक की आरआर टीमें गांव में पहुंची थीं। जहां करीब 33 मरीज डायरिया से प्रभावित मिले हैं। साथ ही 23 मरीज बुखार और 59 मरीज अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त पाए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दूषित पानी वाले कुएं की मोटर बंद कराई
घटना की जानकारी मिलते ही जिला और ब्लॉक की आर आर टीम गांव में पहुंची जिसके बाद करीब 33 मरीज डायरिया के मिले हैं। जिन्हें उल्टी दस्त की शिकायत के बाद खंडवा जिला अस्पताल में रेफर किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दूषित पानी वाले कुएं की मोटर बंद कराई है। वही गांव में ही दो डॉक्टरों की टीम की ड्यूटी 7 दोनों के लिए लगाई गई है। जो गांव में ही रुक कर लोगों का इलाज करेंगे। जिला महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि ग्राम बाराकुंड में हरदा जिले के निवासी अशोक पिता शंकर को उल्टी दस्त की शिकायत के चलते रोशनी स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। वे पहले से ही कुछ इलाज भी करवा रहे थे। हालांकि, अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई थी, जिसे अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने भी कन्फर्म किया था।

10 लोग जिला अस्पताल में भर्ती
वहीं, डॉक्टर शर्मा ने इसके संभावित कारणों पर बात करते हुए बताया कि गांव के एक कुएं में दूषित पानी मिला है। जबकि वहां नल जल योजना भी संचालित है। लेकिन कुछ लोगों द्वारा व्यक्तिगत पानी की लाइन डालकर उस दूषित पानी का उपयोग किया जा रहा था, जिससे कि यह उल्टी दस्त की शिकायतें हुई है। मुख्यत: ऊपरी धाना और बड़ा मोहल्ला क्षेत्र में कुएं के पानी का सेवन किया गया था और उसी क्षेत्र में उल्टी दस्त की शिकायत सामने आई थी। इसके बाद अभी 10 लोगों का जिला अस्पताल में इलाज जारी है तो वहीं सात दिनों के लिए डॉक्टरों की एक टीम गांव में ही तैनात कर दी गई है।

जिला प्रशासन ने बंद कराया कुएं के पानी का उपयोग
इधर, इस मामले की जानकारी देते हुए जिला कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने बताया कि ग्राम बाराकुंड में उल्टी दस्त की शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन की टीम बाराकुण्ड गई थी। जहां जांच में गांव के एक लो लाइन में बने निजी कुंए के पानी का एक पर्व के दौरान गांव के पांच से छह परिवारों द्वारा उपयोग किया जाना सामने आया। इसके बाद 27 लोगों को उल्टी दस्त की शिकायतें होना सामने आया। तब से ही गांव में दो डॉक्टरों की मेडिकल टीम तैनात की गयी है, जो लगातार मरीजों को देख रही है। वर्तमान में कोई नए मरीज नहीं आ रहे हैं और रोशनी जल समूह योजना से जो पानी की सप्लाई गांव में की जा रही थी, उसमें किसी प्रकार का संक्रमण नहीं पाया गया है और फिलहाल कुएं के पानी का उपयोग बंद कर दिया गया है।

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