ढाका। पड़ोसी देश बांग्लादेश आरक्षण विरोधी हिंसा की आग में जल रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद और देश छोड़ने की बाद भी प्रदर्शनकारी उप्रदवी शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं। उपद्रवियों के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक हिंदुओं, शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग के समर्थकों और उनके प्रतिष्ठान हैं। इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने जेसोर के एक होटल को आग के हवाले कर 8 लोगों को जिंदा जला दिया है। वहीं 100 के करीब घायल हुए हैं। उपद्रवी यहीं नहीं रुके। शेरपुर जेल पर हमला कर दंगाइयों ने 500 कैदी भी छुड़ा लिए हैं।
बांग्लादेश के शेरपुर जिला जेल में उपद्रवियों ने धावा बोल दिया और करीब 500 कैदियों को जेल से भगाने में मदद की। सोमवार को कर्फ्यू के बीच लाठी-डंडों और हथियारों से लैस स्थानीय भीड़ ने जुलूस निकाला। इस दौरान भीड़ ने शहर के दमदमा-कालीगंज इलाके में स्थित डिस्ट्रिक्ट जेल पर धावा बोल दिया। उपद्रवियों ने जेल का गेट तोड़ दिया और आग लगा दी। वहीं जिस होटल को उपद्रवियों ने आग के हवाले किया है वह वह आवामी लीग के नेता शाहीन चकलादार का है। चकलादार जेसोर जिले के आवामी लीग महासचिव हैं। डिप्टी कमिश्नर अबरारुल इस्लाम ने आगजनी की खबर की पुष्टि की। मृतकों में से दो की पहचान 20 वर्षीय चयन और 19 वर्षीय सेजन हुसैन के रूप में हुई है। जशोर जनरल अस्पताल के एक कर्मचारी हारुन-या-रशीद ने बताया कि कम से कम 84 लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, जिनमें से अधिकांश छात्र हैं।
बांग्लादेश के 27 जिलों में हिंदुओं को बनाया निशाना
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार डेली स्टार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। कल कम से कम 27 जिलों में भीड़ द्वारा हिंदू घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया, जबकि उनका कीमती सामान भी लूट लिया गया। उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट के तेलीपारा गांव में पूजा उद्जापन परिषद के सचिव प्रदीप चंद्र रॉय के घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की। उन्होंने थाना रोड पर जिले के पूजा उद्जापन परिषद के नगर पालिका सदस्य मुहिन रॉय की एक कंप्यूटर दुकान में भी तोड़फोड़ और लूटपाट की। इसके अलावा, जिले के कालीगंज उपजिला के चंद्रपुर गांव में चार हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई।
विवादित कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू हुआ था प्रोटेस्ट
कोटा सिस्टम के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेश के बाद पिछले महीने के अंत में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन तब नाटकीय रूप से बढ़ गया जब देश के सबसे बड़े ढाका विश्वविद्यालय में आंदोलनकारी छात्रों की पुलिस और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प हो गई। इन विरोध प्रदर्शनों की जड़ें उस विवादास्पद कोटा सिस्टम में निहित हैं, जो पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत तक सरकारी नौकरियों को आरक्षित करता है। हालांकि, आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इस कोटा सिस्टम को खत्म करके 93 फीसदी भर्तियां मेरिट के आधार पर कर दीं और ?आरक्षण का दायरा सिर्फ 7 प्रतिशत तक सीमित कर दिया।