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ममता को बड़ा झटका: टीएमसी को अलविदा कह चुके सरकार ने अब सांसदी से भी किया रिजाइन, दीदी की हर कोशिश रही नाकाम

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कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। एक ओर जहां जूनियर डॉक्टर बीते एक महीने से हड़ताल कर रहे हैं। इतना ही नहीं जूडा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में ममता की मुश्किलें पार्टी के ही नेताओं ने और बढ़ा दी है। कुछ दिन पहले पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले टीएमसी नेता जवाहर सरकार ने अब राज्यसभा सांसदी से भी रिजाइन कर कर दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सौंपा है। सूत्रों की मानें तो सीएम ममता से लेकर पार्टी के तमाम दिग्गजों ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। वहीं सरकार के इस्तीफे को टीएमसी और खासकर ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सरकार ने राज्यसभा सांसदी छोड़ने की जानकारी सोशल मीडिया में साझा की है और ममता पर तीखा हमला भी बोला है।

बता दें कि नौकरशाह से राजनीतिज्ञ बने सरकार की बतौर ईमानदार और बेबाक नेता के रूप में राज्य में काफी प्रतिष्ठा है। उन्होंने न सिर्फ प्रशिक्षु महिला चिकित्सक मामले में सीएम ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठाए, बल्कि राज्य सरकार और पार्टी में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर भी लगातार निशाना साधा है। उपराष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपने की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर साझा करते हुए सरकार ने लिखा कि सर, मेरा समय समाप्त हो गया। आज संसद भवन में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति को सांसद के रूप में अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब मैं बोलने और लिखने के लिए स्वतंत्र हूं। अब मैं तानाशाही, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करूंगा।

क्यों पार्टी छोड़ी थी?
इससे पहले जवाहर सरकार ने 8 सितंबर को ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया था। उन्होंने राजनीति छोड़ने का एलान भी किया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी जवाहर सरकार ने दावा किया था कि पार्टी नेताओं के एक वर्ग का भ्रष्टाचार में शामिल है। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह फैसला लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है। सरकार ने पत्र में कहा था कि आरजी कर अस्पताल में हुई भयावह घटना के बाद एक महीने तक मैंने धैर्यपूर्वक पीड़ा सही। मैं उम्मीद कर रहा था कि ममता बनर्जी अपनी पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स से बात करेंगी, पर ऐसा नहीं हुआ और सरकार अब जो भी दंडात्मक कदम उठा रही है, वह बहुत अपर्याप्त और काफी देर से उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अगर भ्रष्ट चिकित्सकों के समूह पर कार्रवाई की जाती और अनुचित प्रशासनिक कार्रवाई के दोषियों को निंदनीय घटना के तुरंत बाद दंडित किया जाता, तो राज्य में बहुत पहले ही सामान्य स्थिति बहाल हो गई होती।

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