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मप्र की जनता की कठिनाइयां होंगी दूर: मोहन सरकार कराएगी जिलों का परिसीमन, गठित हुआ आयोग, सियासत भी हुई शुरू

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भोपाल। मप्र सरकार अब जिलों का परिसीमन कराने जा रही है। इतना ही नहीं सरकार ने इसके लिए आयोग का गठन भी कर दिया है। एसीएस रैंक के रिटायर्ट अफसर मनोज श्रीवास्तव को आयोग की जिम्मेदारी दी है। आयोग संभाग और जिलों का अध्यन करेगा। जनता अपना सुझाव आयोग को दे सकती है। हालांकि आयोग में कितने सदस्य होंगे। इस बारे में बाद में फैसला लिया जाएगा। जिलों का सीमांकन कराने से प्रदेश की जनता की कठिनाइयां दूर होंगी। यह जानकारी मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार सुबह एक वीडियो जारी कर दी है। इसके बाद वह बीना के लिए रवाना हो गए। बता दें कि सीएम मोहन आज बीना जिले के दौरे पर हैं। इस दौरान वह जहां जिलें को कई सौगात देंगे। वहीं कृषि उपज मंडी बीना में आयोतिज राज्यस्तरीय कार्यक्रम से लाड़ली बहनों के खातों में योजना की राशि भी ट्रांसफर करेंगे।

सीएम ने वीडियो जारी कर कहा कि कई टोले, मजरे और पंचायतों के लोगों को जिला, संभाग, तहसील, विकासखंड जैसे मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि ऐसे क्षेत्रों से दूसरे जिले, संभाग, विकासखंड और तहसील मुख्यालय नजदीक हैं। कई संभाग बड़े-छोटे हो गए हैं। ऐसी विसंगतियां दूर करने के लिए नया परिसीमन आयोग बनाया गया है। इसके माध्यम से नजदीकी जिला मुख्यालय से जोड़कर जनता की बेहतरी के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह करना है। सीएम ने कहा- अपर मुख्य सचिव स्तर के रिटायर्ड अधिकारी मनोज श्रीवास्तव को आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। सागर, उज्जैन, इंदौर, धार जैसे कई बड़े जिले हैं, जहां कई कठिनाइयां है। जैसे- बीना में रिफाइनरी बन गई, यह बड़ा स्थान हो गया। आने वाले समय में यहां युक्तिकरण के माध्यम से विचार किया जाएगा। जैसे हमने पुलिस थानों की सीमाएं बदली थीं और जनता को थानों के नजदीक पहुंचाने का प्रयास किया था, उसी तरह प्रशासनिक दृष्टि से यह निर्णय भी कारगर सिद्ध होगा। मोहन सरकार के इस फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है।

सरकार की मंशा पर एमपी कांग्रेस को शंका!
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि क्षेत्रफल की भूमिका अलग-अलग होती है। सीमांकन अलग-अलग जिलों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार होना चाहिए। राजनीतिक कूट और दुर्भावना देखी जाएगी तो न्याय पूर्ण नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से परिसीमन होना चाहिए। वहीं विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा- जिलों का गठन विधायकों के कहने के अनुसार नहीं होना चाहिए। इसे जनता की मांग के अनुसार होना चाहिए। विधायक अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। ये गलत है। कल कोई भी नेता आकर खड़ा हो जाए…कहे कि मेरी विधानसभा या क्षेत्र को जिला बना दें। ये कोई मजाक है क्या? जिले की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था बनती है।

बीजेपी ने कांग्रेस को बताया राक्षसी प्रवत्ति
इस पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस का राक्षसी प्रवत्ति का बता दिया। भाजपा प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता विरोध की है। जिले का नाम आता है तो विरोध करना शुरू कर देते हैं। सुबह उठकर विरोध, रात को फिर विरोध करना, इनकी राक्षसी प्रवत्ति होलोरे लेती है। राक्षसी प्रवत्ति को विकास पसंद नहीं है। इन्हें विरोध और विवाद करना है।

इन कस्बों को जिला बनाने की मांग
बीना (सागर), चाचौड़ा (गुना), खुरई (सागर), जुन्नारदेव (छिंदवाड़ा), लवकुशनगर (छतरपुर), मनावर (धार) को जिला बनाने की मांग लगतार उठ रही है। प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग बनने से अब इस पर विचार किया जा सकेगा।

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