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भारतीय राजनीति में नफरत का माहौल: अमेरिका में बोले राहुल, रोजगार के मामले में ड्रैगन की ऐसे की खूब तारीफ

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वॉशिंगटन। कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। वह रविवार को टेक्सास के डलास पहुंचे और टेक्सास विश्वविद्यालय के छात्रों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने छात्रों से कई मुद्दों पर बात की। खास बात यह रही कि राहुल गांधी ने जहां भारत की फिर बुराई की। वहीं पड़ोसी देश चीन की तारीफ की। राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय राजनीति में नफरत का माहौल है, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के जरिए मोहब्बत और भाईचारे की राजनीति की शुरूआत हुई। उन्होंने भारत में रोजगार की समस्या को भी प्रमुख मुद्दा बताया और कहा कि इसका कारण यह है कि देश ने उत्पादन (प्रोडक्शन) पर ध्यान नहीं दिया। वहीं उन्होंने चीन की तारीफ करते हुए कहा कि भारत, अमेरिका और पश्चिमी देशों में बेरोजगारी की समस्या है, जबकि चीन इस समस्या से नहीं जूझ रहा है। उन्होंने इसकी वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि चीन वैश्विक उत्पादन पर हावी है और यही वजह है कि वह रोजगार देने में अव्वल है। उन्होंने भारत में विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

राहुल गांधी ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा, “चीन ने अपने देश में प्रोडक्शन पर ध्यान दिया है, इसलिए वहां रोजगार की समस्या नहीं है। भारत में अधिकतर चीजें ‘मेड इन चाइना’ हैं। चीन की यही नीति उसे रोजगार देने में सफल बनाती है। चीन में भी रोजगार की समस्या नहीं है। वियतनाम में रोजगार की समस्या नहीं है। ऐसा क्यों? अगर आप 1940, 50 और 60 के दशक में अमेरिका को देखेंगे, तो पाएंगे कि वे वैश्विक उत्पादन का केंद्र थे। जो कुछ भी बनाया जाता था- चाहे वह कार हो, वॉशिंग मशीन हो या टीवी, सब अमेरिका में बनकर तैयार होता था। फिर यह उत्पादन धीरे-धीरे अमेरिका से बाहर चला गया। यह कोरिया गया और फिर जापान गया। आखिरकार यह चीन तक पहुंच गया। अगर आप आज देखें, तो चीन वैश्विक उत्पादन पर जोर दे रहा है।

उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है
उन्होंने कहा कि पश्चिम, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को शायद पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने इसे चीन के हवाले कर दिया है। उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है। हम जो करते हैं, अमेरिकी जो करता है, पश्चिम जो करता है, वह यह है कि हम चीनमें बनी चीजों का इस्तेमाल कैसे किया जाए? इसे व्यवस्थित करते हैं। भारत को उत्पादन के कार्य और उत्पादन को व्यवस्थित करने के बारे में सोचना होगा। उन्होंने भारतीय बैंकों द्वारा बड़े व्यापारियों के कर्ज माफ किए जाने पर भी सवाल उठाया। राहुल गांधी ने कहा, “भारत में 25 लोगों का 16 लाख करोड़ रुपए का बैंक लोन माफ कर दिया गया। इतने पैसे से कई इंडस्ट्रीज खड़ी की जा सकती थीं, लेकिन जब हम कर्ज माफी की बात करते हैं, तो मीडिया हमसे सवाल करता है। वहीं, जब 16 लाख करोड़ रुपए माफ किए जाते हैं, तब कोई सवाल नहीं उठाया जाता।

राहुल ने कहा कि भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है। अगर हमारा देश उत्पादन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे तो वह चीन से प्रतिस्पर्धा कर सकता है। उन्होंने व्यावसायिक और शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली पर वैचारिक कब्जे का जिक्र भी किया। उन्होंने विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर दिया। राहुल ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत बस यह कहे कि ठीक है, विनिर्माण कह लें या उत्पाद कह लें, उस पर चीन का अधिकार होगा। वियतनामियों का अधिकार होगा। बांग्लादेश का अधिकार होगा। हमें इस बारे में सोचना होगा।

कई सामाजिक समस्याओं को देखेंगे
राहुल ने कहा कि जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हमें बेरोजगारी की बढ़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा, और साफ है कि इससे काम नहीं चलेगा। इसलिए आप देखेंगे कि यदि हम विनिर्माण को भूलने के इस रास्ते पर चलते रहेंगे तो आप भारत, अमेरिका और यूरोप में कई सामाजिक समस्याओं को देखेंगे। हमारी राजनीति का ध्रुवीकरण इसी वजह से है। बहुत से लोग कहते हैं कि भारत में कौशल की समस्या है। मुझे नहीं लगता कि भारत में कौशल की कोई समस्या है। मुझे लगता है कि भारत में ऐसे लोगों के लिए सम्मान नहीं है।

चीन का मुकाबला कर सकता है भारत
उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत, चीन का मुकाबला कर सकता है, अगर वह उत्पादन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे और कौशल का सम्मान करना शुरू कर दे। तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही यह कर दिखाया है। ऐसा नहीं है कि भारतीय राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। पुणे ने यह कर दिखाया है। महाराष्ट्र ने यह कर दिखाया है। बस समस्या यह है कि यह उस पैमाने और समन्वय के साथ नहीं किया जा रहा है, जिसकी जरूरत है।

तीन दिवसीय अनौपचारिक यात्रा पर राहुल
दरअसल, राहुल गांधी अमेरिका की तीन दिवसीय अनौपचारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान वे डलास, टेक्सास और वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासियों और युवाओं से बातचीत करेंगे। सोमवार से शुरू हो रही वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान वह सांसदों और अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिल सकते हैं। वह शनिवार रात को डलास पहुंचे थे। इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा और इसकी अमेरिकी विंग के अध्यक्ष मोहिंदर गिलजियान ने उनका स्वागत किया था।

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