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झारखंड: सोरेने ने अकेले क्यों ली शपथ, बड़ी वजह आई सामने, मंत्रिमंडल में जगह पाने सभी दलों की हैं बड़ी ख्वाहिशें

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रांची। झारखंड में हेमंत सोरेन ने चौथी बार सीएम पद की शपथ ले ली है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। हालांकि इंडिया ब्लॉक के दिग्गजों की मौजूदगी में सोरेन ने अकेले ही शपथ ली। इसकी बड़ी वजह बताई जा रही है कि सहयोगियों के बीच मंत्रिमंडल को सहमति न बन पाना। सूत्रों की मानें तो इंडिया ब्लॉक में मंत्री बनने की होड़ लगी हुई है। ऐसे में हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ लेकर मैसेज साफ दिया है कि इस बार के झारखंड की सरकार हेमंत सोरेन की वजह से बनी है। इसलिए हेमंत जैसा चाहेंगे वैसे ही सरकार चलेगी। दबाव में हेमंत सरकार आने वाले नहीं।

सूत्रों ने दावा किया है कि झामुमो कैबिनेट में 7 मंत्री अपने कोटे से रखना चाहती है। इसके लिए पार्टी की तरफ से विधायकों की संख्या को आधार बनाया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी 4 मंत्री पद पर अड़ी है। आरजेडी की भी ख्वाहिशें हैं। इस पेच को अभी सुलझाया नहीं जा सका है। कांग्रेस ने अभी तक सोरेन को मंत्रियों की सूची नहीं सौंपी है, क्योंकि पार्टी में बहुत सारे दावेदार हैं। जानकारी यह भी है कि कांग्रेस के दर्जनभर से ज्यादा विधायक दिल्ली में कल तक डेरा डाले हुए थे। इसलिए हाईकमान तय नहीं कर पा रहा है कि मंत्री पद की जिम्मेदारी किसको दी जाए और किसको नहीं। यही हाल आरजेडी का भी है। पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली आरजेडी इस बार चार सीटें जीत चुकी है, और चारों विधायक मंत्री बनने की होड़ में लगे हैं। ऐसे में आरजेडी के लिए भी तय कर पाना आसान नहीं हो रहा है।

इन कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली में डारा डेला
पूर्व मंत्री दीपिका पांडे सिंह और डॉ. इरगन अंसारी, वरिष्ठ नेता ममता देवी, कुमार जयमंगल सिंह, राजेश कच्छप, भूषण बारा और नमन बिक्सल कोंगाड़ी दिल्ली में हैं और कथित तौर पर मंत्री पद के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी दावेदारी रखा है। पूर्व मंत्री बंधु तिर्की भी अपनी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की की पैरवी के लिए नई दिल्ली में हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी कुछ विधायकों के साथ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम भी दिल्ली पहुंच चुकी हैं। राज्य में सबसे बड़ी जीत होने के कारण उनकी दावेदारी सभी से ज्यादा मजबूत है। हालांकि, ऐसी भी खबरें हैं कि कांग्रेस विधायक दल के नेता को मंत्री नहीं बनाया जाएगा। इस पद के लिए पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव प्रबल दावेदारों में से हैं। अटकलें हैं कि नई सरकार के विश्वास मत जीतने के बाद अगले हफ्ते कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा।

सोरेन ने अकेले शपथ लेकर विपक्ष को नहीं दिया कोई मुद्दा
हालांकि, सोरेन चाहते तो अपनी पार्टी के मंत्रियों को शपथ दिलवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।हेमंत सोरेन ने मंत्रिमंडल पर आम सहमति बनने का इंतजार करने का फैसला किया। क्योंकि अगर वह झामुमो के मंत्रियों को अपने साथ शपथ दिलवा देते तो यह एकतरफा फैसला माना जाता और विपक्ष को इंडिया ब्लॉक की एकजुटता पर कटाक्ष करने का मौका मिल जाता। लेकिन हेमंत सोरेन के अकेले शपथ लेकर विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं दिया। झारखंड मंत्रिमंडल में 11 कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं। पिछले कार्यकाल में छह मंत्री झामुमो से थे, जबकि चार कांग्रेस से थे। एक मंत्री राजद का था। इस बार सीपीआई-एमएल, जिसके दो विधायक हैं, उसने हेमंत सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। यानी कैबिनेट बर्थ का बंटवारा झामुमो, कांग्रेस और राजद के बीच होना है।

हेमंत के अकेले शपथ लेने के पीछे ये भी एक वजह रही
इसके अलावा हेमंत सोरेन के अकेले शपथ लेने की एक वजह यह भी हो सकती है कि वह इस बार खुद को स्पॉटलाइट में रखना चाह रहे थे। चुनाव से पहले उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा, जेल जाना पड़ा। इंडिया ब्लॉक की तरफ से झारखंड का पूरा चुनाव हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना के इर्द-गिर्द ही था। हेमंत ही राज्य में प्रचार अभियान की कमान संभाले हुए थे। वह अपनी पार्टी के साथ-साथ सहयोगी दलों के लिए भी रैलियां कर रहे थे। बीजेपी भी उन्हीं पर निशाना साध रही थी।

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